हर साल 26 जनवरी को भारत में "वीर बाल दिवस" आयोजित जाता है। यह दिवस मृत हुए छोटे बच्चों – ऊदल, बादल और तेजा – को अभिवादन करने के लिए समर्पित है, जिन्होंने 1705 में आक्रमण से निज राज्य राज्य की सुरक्षा करते हुए साहस से मुक़ाबला किया था। इस दिन, स्कूल और अन्य संगठन संसाधन आयोजित करते हैं ताकि पीढ़ियों को इन शौर्यशाली युवाओं की उत्कृष्ट कहानी से परिचित कराया जा सके, और उन्हें देश के लिए निस्वार्थ भाव करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
गुरु तेग बहादुर के बहादुर पुत्र
पूरे जगत में गुरु तेग बहादुर के शिष्य मुक्ति का नाम है। वे अद्भुत त्याग प्रदान किया था, जो {सikh|सिख|सिख) धर्म को संरक्षित गया। कहा जाता है कि उसने समय में अत्याचार का गंभीर रूप था, जहां संत तेग बहादुर ने अपने अस्तित्व की परवाह किए बिना {सikh|सिख|सिख) जनता की सुरक्षा के लिए उपरोक्त आए। उस महत्वपूर्ण मामला ने {सikh|सिख|सिख) इतिहास को नया दिशा दिया।
गुरुजनों के शहीद साहसी शिशु
सिख संस्कृति में, "सिख गुरुओं के शहीद साहसी बाल" एक अत्यंत स्थान धारण हैं। ये युवा बच्चे, जिन्होंने अपनी जान गुरु तेग देव की विरासत के संरक्षण के लिए दी थी, सिख लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। उनकी बलिदान की कहानियाँ हमें बताने का काम करती हैं कि आस्था के संदर्भ में कितनी अहम कीमत पड़ती है। इन्हें सिख समुदाय के बीच बड़ा सम्मान प्राप्त है और इनके स्मरणोत्सव को हर तौर पर जाता जाता है। यह विषय सिख इतिहास को जानने में सहायता करता है।
वीर बाल दिवस: त्याग और बलिदानशौर्य दिवस: बलिदान और त्यागशहीद बाल दिवस: त्याग एवं बलिदान
हरप्रत्येकएक वर्ष के 26 जनवरीदशकदिन, हम वीर बाल दिवसशौर्य दिवसशहीद बाल दिवस के रूप में उत्सव मनाते हैंस्मारक के रूप में याद करते हैंपूज्य करते हैं, जो कि सिखों के दसवेंअंतिमअठारहवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके चारचारोंदोनों पुत्रों, बाबा फतेह सिंह और बाबाश्रीगुरु जीवा सिंह के असीमनिःस्वार्थअद्वितीय त्याग और बलिदान की स्मृतिअभिस्वीकृतिसार है। इसयहऐसे दिवस हमें उन शूरवीरवीरगतिवीर बच्चों की प्रेरणादायक कहानीगाथाजीवन याद दिलाता है, जिन्होंने स्वतंत्रतादेशदेशभक्ति के अधिकारसपनेउद्देश्य click here के लिए अपना कीमतीअमूल्यपवित्र जीवन न्योछावरसमर्पणबलिदान कर दिया। यहवेइसकी भावना देशअकालोंअकादमिक संस्थानों में जलाईप्रज्वलितप्रोत्साहित की जानी चाहिए, ताकि युवा पीढ़ीजनरेशनयुवाशक्ति उनके अमरअसाधारणवीर बलिदान से प्रेरितप्रभुत्वशालीप्रभावित हो सके।
छह वर्षीय वीर: गुरु तेग बहादुर का पुत्र
वीर की गुरु तेग बहादुर {के|का|का) पुत्र थे, एक विशेष स्थान {धारणथे सिख कालक्रम में। उनके जीवन का शुरुआत एकता ऐसे समय में हुई थी जब गुरु जी धर्म के रक्षा का लिए संघर्ष कर रहे थे। वीर की बचपन और प्रारंभिक शिक्षा में गुरु का प्रभाव स्पष्ट था, और उन्होंने बचपन में धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों को {अवशोषितकिया था। उसकी कहानी एकता प्रेरणा का स्रोत है, जिस आने वाली युवाओं को याद दिलाता है गुरु साहब का बलिदान और 放弃।
वीर बाल दिवस की गौरवमयी गाथा
अमर यह उत्सव हमें बलिदान हुए छोटे योद्धा की याद दिलाता है। वर्ष 1947 में, हमारे देश के आजादी की लड़ाई के दौरान, कुछ साहसी बच्चे बिना किसी स्वार्थ के अपनी जान दे बैठे। इनकी साहस और समर्पण की गाथाएं आज भी हम को प्रेरित हैं। यह दिवस हमें यह देता है कि राष्ट्र के लिए जीव देने का अर्थ क्या होता है और हम हमेशा देशभती भावना से ओत-प्रोत रहने के लिए बाध्य हैं। यह पावन दिन हम को हमारी आने भविष्य की पीढ़ी को इस ज़रूरी बातें बताना महत्वपूर्ण है।